कुछ चुनिंदा शेर - खुमार बाराबंकवी/ दुश्मनों से प्यार होता जाएगा, दोस्तों को आजमाते जाइए


दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
दोस्तों को आजमाते जाइए
भूले हैं रफ्ता रफ्ता उन्हें मुद्दतों में हम
किस्तों में खुद-कुशी का मजा हम से पूछिए
वही फिर मुझे याद आने लगे हैं 
जिन्हें भूलने में जमाने लगे हैं 
अब इन हुदूद में लाया है इंतिजार मुझे 
वो आ भी जाएँ तो आए न ऐतबार मुझे
खुदा बचाए तिरी मस्त मस्त आँखों से 
फरिश्ता हो तो बहक जाए आदमी क्या है 
दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए 
सामने आइना रख लिया कीजिए 
हद से बढ़े जो इल्म तो है जहल दोस्तो 
सब कुछ जो जानते हैं वो कुछ जानते नहीं 
ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही 
जज्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही 
हटाए थे जो राह से दोस्तों की 
वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं 
गम है न अब खुशी है न उम्मीद है न यास 
सब से नजात पाए जमाने गुजर गए
आज नागाह हम किसी से मिले 
बाद मुद्दत के जिंदगी से मिले 
सुना है हमें वो भुलाने लगे हैं 
तो क्या हम उन्हें याद आने लगे हैं 


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